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ईमानदारी का इनाम - गांव के पास एक छोटा-सा कस्बा था, जहां रामू नाम का एक साधारण लड़का रहता था। रामू गरीब था, लेकिन उसकी सबसे बड़ी खासियत थी उसकी ईमानदारी। वह गांव वालों के काम में मदद करके अपना गुजारा करता था। एक दिन रामू की ईमानदारी ने उसे ऐसा इनाम दिलाया, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
कहानी की शुरुआत
रामू हर सुबह जल्दी उठकर अपने छोटे खेत में काम करता और शाम को गांव में मजदूरी करता। एक दिन रास्ते में उसे एक चमचमाती थैली मिली। रामू ने थैली उठाई और उसमें झांका।
रामू (हैरानी से): "अरे वाह! इसमें तो ढेर सारे सोने के सिक्के हैं। लेकिन ये मेरे नहीं हैं। मुझे इसे उसके मालिक तक पहुंचाना होगा।"
ईमानदारी का पहला कदम
रामू थैली लेकर गांव के मुखिया जी के पास पहुंचा।
रामू: "मुखिया जी, मुझे ये थैली रास्ते में मिली है। आप इसे उसके असली मालिक को लौटा दीजिए।"
मुखिया जी (मुस्कुराते हुए): "रामू, तू हमेशा अपनी ईमानदारी से सबका दिल जीत लेता है। चलो, इसे असली मालिक तक पहुंचाने का इंतजाम करते हैं।"
मालिक की खोज
गांव के चौपाल में घोषणा करवाई गई। तभी एक अमीर व्यापारी वहां आया।
व्यापारी (चिंतित स्वर में): "ये मेरी थैली है! इसमें मेरे मेहनत के पैसे हैं।"
मुखिया जी: "क्या आप ये साबित कर सकते हैं कि ये आपकी ही है?"
व्यापारी ने थैली का सही विवरण दिया, और मुखिया जी को यकीन हो गया कि थैली उसी की है।
इनाम देने का पल
व्यापारी ने रामू को धन्यवाद देते हुए कहा:
व्यापारी: "रामू, तेरी ईमानदारी ने मुझे बहुत प्रभावित किया। ये थैली अगर किसी और के हाथ लगती, तो शायद मुझे वापस न मिलती।"
रामू (शर्माते हुए): "मुझे जो करना चाहिए था, वही किया। इसमें खास क्या है?"
व्यापारी (हंसते हुए): "खास यही है कि आज के जमाने में तेरे जैसे लोग बहुत कम हैं। ये लो, मैं तुझे इनाम में 10 सोने के सिक्के देता हूं।"
रामू: "लेकिन मैंने तो बस अपना फर्ज निभाया।"
व्यापारी: "तू इनाम का हकदार है। इसे मना मत कर।"
गांव वालों का समर्थन
रामू के इस काम की गांव में खूब चर्चा हुई। बच्चे, बड़े, सभी उसकी तारीफ कर रहे थे।
एक बच्चा (मुस्कुराते हुए): "रामू भैया, आप सच में हीरो हो!"
रामू (हंसते हुए): "अरे, मैं तो बस रामू हूं। लेकिन याद रखना, ईमानदारी से ही असली खुशी मिलती है।"
सीख
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि ईमानदारी और नेकदिली सबसे बड़ा गुण है। जब हम सही काम करते हैं, तो उसका फल हमेशा अच्छा ही होता है। रामू की तरह हमें भी सच्चाई का रास्ता नहीं छोड़ना चाहिए, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो।
"ईमानदारी का इनाम केवल पैसे या तामझाम नहीं, बल्कि दिल की खुशी और समाज का सम्मान है।"
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